तौवा का बयान

तौवा :-

कुरान सरीफ के पांचवे पारे मै सुरये निशा के सोल्वे रुकू मै आयत नंबर (110) मै अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है!

तर्जुमा :-

जो शख्स कोई बुरा काम कर बैठे या अपने हक़ मै जुल्म करें! फिर खुदा से बख्सिस मांगे तो अल्लाह तआला को बढ़ी रहमत बाला बढ़ी मगफिरत बाला पायेगा!

हदीस :-

हज़रत अनस रजिअल्लाहो अनहो कहते है! रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे बसल्लम ने इरशाद फ़रमाया है! किया कोई शख्स पानी पर इस तरह चल सकता है! की उसके पाऊ तर ना हो! सहावा ने अर्ज किया नहीं या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे बसल्लम आपने फ़रमाया यही हाल दुनियादार का है! की गुनाहो से फहमूज नहीं रहता है!

हबाला :- मिसकात सारीद जिल्द (2) सिफा (745)

हदीस :-

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसउद रजिअल्लाहो अनहो कहते है! फ़रमाया या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे बसल्लम ने गुनाहो से तौवा करने बाला शख्स ऐसा पाक साफ हो जाता है! जैसे उसने कभी गुनाह ही नहीं किया

हवाला :- मिसकात सरीफ जिल्द (1) सिफा (388)

हदीस :-

हज़रत अबु हुरेरा रजिअल्लाहो अनहो कहते है! की हुज़ूर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे बसल्लम खुदा बंद तआला की हिकायत बयान फरमाई की एक शख्स ने गुनाह किया और कहा ऐ अल्लाह मेरे गुनाह बख्स दे! तो खुदा बंद तआला फरमाता है! मेरे बन्दे ने एक गुनाह किया और वो जानता है! उसका एक परबर दिगार है! जो गुनाहो को बख्स देता है! और गुनाहो पर गिरफ्त भी करता है! मैंने अपने उस बन्दे को बख्स दिया! इस तरह तीन बार कहा ( मुख़्तसर )

हबाला :- सही मुस्लिम सरीफ जिल्द (2) सिफा (205) सही बुखारी सरीफ जिल्द (3) पारा (30) सिफा (574)

हदीस :-

हज़रत अबु हुरेरा रजिअल्लाहो तआला अनहो फरमाते है! मैंने हुज़ूर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे बसल्लम से सुना है! आप फरमाते थे! बखदा मै एक दिन मै सत्तर मर्तवा से ज्यादा (यानि हर बख्त ) अल्लाह तआला से इसतखफार और तौवा करता हूँ!

हबाला := सही बुखारी सरीफ जिल्द (3) पारा (22) सिफा (286) मिसकात सरीफ जिल्द (1) सिफा (382)

खानकाहे मुसीरिया

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