अरजो समा बने है! इसी नूर के तुफेल
तारे चमक रहे है! इसी नूर के तुफेल
गुलसन हरे भरे है! इसी नूर के तुफेल
दोनों जहा सजे है! इसी नूर के तुफेल
इस नूर का अजल से अबद तक है! सिलसिला
ये नूर वो है! जिसका तरफ दार है! खुदा
अरजो समा बने है! इसी नूर के तुफेल
तारे चमक रहे है! इसी नूर के तुफेल
आया है! राहें रास्त दिखाने के बास्ते
बन्दों को उनके रब से मिलाने के बास्ते
बुनियाद बूत गादो की गिराने के बास्ते
रस्मो रिवाज कुफ्र मिटाने के बास्ते
इंसा को बंदगी का सलीका सिखाएगा
ये नूर जुल्मतो को उजाले बनाएगा
अरजो समा बने है! इसी नूर के तुफेल
तारे चमक रहे है! इसी नूर के तुफेल
गुफ्तार ला जबाब है! किरदार बे नजीर
हामी सितम जदो का यतीमो का दस्तगीर
हल्का व गोस उसके है! किया शाह किया फकीर
इंसान रह सकेगा ना इंसान का असीर
भूका रहेगा खुद वो जहा को खिलायेगा
वो अपने दुश्मनो को गले से लगाएगा
अरजो समा बने है! इसी नूर के तुफेल
तारे चमक रहे है! इसी नूर के तुफेल
पैगामे हक़ ये सारे जहा को सुनाएगा
कीना जदो को रसके गुलिस्ता बनाएगा
हर गम रहमतों के खजाने लुटायेगा
इंसान को ये दरसे उखुब्बत सिखाएगा
देगा कुछ इस अदा से पैगामे दोस्ती
जहनो से दूर कर देगा सदियों की दुश्मनी
अरजो समा बने है! इसी नूर के तुफेल
तारे चमक रहे है! इसी नूर के तुफेल
ये साहिबे जमाल है! ये साहिबे कमाल है!
खुश दिल है! खुश पसंद है! खुश खुल्क खुश खिसाल
खल्लाके दो जहा की है! तखलीके बे मिसाल
मुमकिन नहीं है! इसको किसी दौर मै जवाल
रोशन करेगा रुसदो हिदायत के वो दिए!
बन जायेंगे सबक जो हर एक दौर के लिए
अरजो समा बने है! इसी नूर के तुफेल
तारे चमक रहे है! इसी नूर के तुफेल
बेसक यही है! वाइसे तखलीके कायनात
चमकेगा उसके हुस्न से हर गोसाये हयात
राशिख है! उसका कॉल तो सच्ची है! हर एक बात
दिल मै है! उसके हम नजर मै है! इल्तिफात
उसके करम की हद है! ना कोई हिसाब है!
जिस पर निगाह डाल दे! वो आफ़ताब है!
अरजो समा बने है! इसी नूर के तुफेल
तारे चमक रहे है! इसी नूर के तुफेल
आया है! मुफलिसो की हिमायत लिए हुए!
मजलूमो और बे कसो की मोहब्बत लिए हुए!
अहले गुनाह के हक़ मै सफाअत लिए हुए!
सारे जहा के लिए रहमत लिए हुए!
होगा उसी की जात पे कुरआन का नुजूल
वो आखिरी किताब है! ये आख़री रसूल
अरजो समा बने है! इसी नूर के तुफेल
तारे चमक रहे है! इसी नूर के तुफेल
Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ