अल्लाह रे किया मर्तवा गौसे जली है!
गर्दन को झुकाये हुए हर एक बली है!
अल्लाह रे किया बारगाहे गौसे जली है!
गर्दन को झुकाये हुए हर एक बली है!
वो जात गुलिस्ताने रिसालत की कली है!
नो रुस्ता गुले गुलसन जहराओ अली है!
औलादे हसन आले हुसैन इब्ने अली है!
बेसक शाहे बगदाद बली इब्ने बली है!
सब उनकी इनायत है! ख़फ़ी है! की जली है!
हर रस्मे करम उनके घराने से चली है!
हो नक्से कदम जिसपे नवी और अली के
उस दर पे किसी की ना चलेगी और न चली है!
इक सिलसिलाये नूर है! हर सांस का रिस्ता
ईमान मेरा हुब्बे नवी मेहर अली है!
मुझको भी मोहब्बत है! बहुत वादे सवा से
कियु कर ना हो! आखिर तेरे कूचे से चली है!
जो नूर है! बगदाद की गलियों का उजाला
हर एक किरण उसकी मदीने से चली है!
हर गम पे सजदे की तमन्ना है! जवी को
ये किसका दरे नाज है! ये किसकी गली है!
महसर मै वही गाजाये अनबार बनेगी
मिट्टी तेरे कूचे की जो चेहरे पे मली है!
मै उनका हूँ! ता हश्र नसीर उनका रहूँगा
सद शुक्र की उनसे मेरी निस्बत अजली है!
Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ