हमने आँखों से देखा नहीं है! मगर नात सरीफ

हमने आँखों से देखा नहीं है! मगर 
उनकी तस्वीर सीने मै मौजूद है! 


जिसने ला कर कलामे इलाही दिया! 
वो मोहम्मद मदीने मै मौजूद है! 


हमने आँखों से देखा नहीं है! मगर 
उनका जलवा तो सीने मै मौजूद है! 


जिसने लाकर कलामे इलाही दिया! 
वो मोहम्मद मदीने मै मौजूद है! 


फूल खिलते है! पढ़ पढ़ कर सल्ले अला 
झूम कर कह रही है! ये वादे सवा 


ऐसी खुसबू चमन के गुलो मै कहा 
जो नवी के पसीने मै मौजूद है!


हमने माना की जन्नत बहुत है! हसीं 
छोड़ कर मदीना ना जाए कही 


यूँ तो जन्नत मै सब है! मदीना नहीं 
और जन्नत मदीने मै मौजूद है! 


छोड़ना तेरा तैवा गवारा नहीं 
सारी दुनिया मै ऐसा नजारा नहीं 


ऐसा मंजर ज़माने मै देखा नहीं 
जैसा मंजर मदीने मै मौजूद है! 

Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ 

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