सारे जहा मै शाह का जलवा अज़ीम है! नात सरीफ

सारे जहा मै शाह का जलवा अज़ीम है! 
सुल्ताने कायनात का रुतवा अज़ीम है! 


ईमान है! अकीदा है! एकान है! मेरा 
अरशे बरी से तुर्बते आका अज़ीम है! 


बोसा लिया है! हज़रत रुहुल आलामीन ने 
सरकारे क़ायनात का तलवा अज़ीम है 


जलवा नुमा है! प्यारे नवी इसमें इसलिए 
सारे जहा मै शहर मदीना अज़ीम है! 


मक्का मदीना दोनों है! अपनी जगह अज़ीम 
लेकिन मेरे रसूल का रोजा अज़ीम है! 


तसरीफ लाये जिसमे साहनशाह दो जहा 
महबूबे किबरिया का वसीला अज़ीम है! 


किरदार देख कर अख़लाके मुस्तफा 
कहने लगी मचल कर सईफा अज़ीम है! 


बख्सिस के बास्ते सर महसरे ऐ मुन्तजम 
दिल मै हमारे उल्फत आका अज़ीम है! 

Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *