वो जिसके लिए महफिले कोनेन सजी है! मंकवत गोसे आज़म

वो जिसके लिए महफिले कोनेन सजी है!
फ़िरदौसे वरी जिसके वसीले से बनी है! 
वो हासमी मक्की मदनी उल अरवी है! 
वो मेरा नवी मेरा नवी मेरा नवी है! 


अल्लाह का फरमान अलम नसरा लका सदरक 
मंसूब है! जिससे वरा फाअना लका जिकरक
जिस जात का कुरआन मै भी जिकरे जली है! 
वो मेरा नवी मेरा नवी मेरा नवी है! 


अहमद है! मुहम्मद है! वो खतमे रसूल है! 
मखदूमो मुरब्बी है! वो ही वलिये कुल है! 
उस पर ही नजर सारे जमाने की लगी है! 
वो मेरा नवी मेरा नवी मेरा नवी है! 


व समसूद दुहा चेहराये अनबर की झलक है! 
वलेल सजा गेसुये हज़रत की लचक है! 
आलम को जिया जिसके वसीले से मिली है! 
वो मेरा नवी मेरा नवी मेरा नवी है! 


मुजम्मिलो यासीन व मुदससिरों ताहा 
किया किया नये अलकाब से अल्लाह ने पुकारा 
किया शान है! उसकी जो उम्मी लकवी है! 
वो मेरा नवी मेरा नवी मेरा नवी है! 

Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ 


वो जात की जो मजहरे लोलाक लमा है! 
जो साहिबे रफ रफ सबे मेराज हुआ है! 
असरा मै इमामत नबियों की मिली है! 
वो मेरा नवी मेरा नवी मेरा नवी है! 


किश दर्जा जमाने मै थी मजलूम औरत 
फिर जिसकी बदौलत मिली जिसे इज्जतो रिफ़अत 
वो मोहसिनो गम खुआर हमारा ही नवी है! 
वो मेरा नवी मेरा नवी मेरा नवी है! 

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