दरे नवी पर पढ़ा रहूँगा! पढ़े ही रहने से काम होगा! नात सरीफ lyrics

दरे नवी पर पढ़ा रहूँगा! पढ़े ही रहने से काम होगा! 


कभी तो किस्मत खुलेगी मेरी कभी तो मेरा सलाम होगा! 


खुलाफे मासूक कुछ हुआ है! ना कोई आशिक से काम होगा! 


खुदा भी होगा! इधर भी ऐ दिल जिधर वो आली मुकाम होगा!


किये ही जाऊंगा अर्ज मतलब मिलेगा जब तक दिल का मतलब! 


ना शाम मतलब की सुबह होंगी! ना ये फसाना तमाम होगा! 


जो दिल से है! माइल पायंबर ये इसकी पहचान है! मुकर्रर 


की हर दम इस बे नवा के लब पर दुरूद होगा सलाम होगा! 


इस मोके पे जी चाह रहा हूँ! यही तमन्ना जला रही है! 


निगाह लुतफो करम ना होंगी! तो मुझको जीना हराम होगा! 

Writter :- हसीन अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ 

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