जहा मै खूब है! सोहरत इमाम अहले सुन्नत की
है! आला शान और सोहरत इमाम अहले सुन्नत की
बया कोई नहीं कर पायेगा! इनकी अकीदत को
नवी से ऐसी थी! उल्फत इमाम अहले सुन्नत की
नवी की याद मै जीना नवी की याद मै मरना
यही अनमोल थी! दौलत इमाम अहले सुन्नत की
नजारा और कोई इसकी आँखों को न भायेगा!
जो जाकिर देख ले! तुर्बत इमाम अहले सुन्नत की
फ़कीमान जहा कहते है! उल्फत से मोहब्बत से
बहुत पर लुत्फ़ है! मदहत इमाम अहले सुन्नत की
उलूम दीनिया के हलके मै जाकर जरा देखो!
अजीमूसान है! रिफत इमाम अहले सुन्नत की
नवी से इश्क व उल्फत का सिला कहते इसे असअर
दीवानी हो गयी! खलकत इमाम अहले सुन्नत की
Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ