ख़ुश रवि अच्छी लगी ना सरबरी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
दूर थे तो जिंदगी बे रंग थी! बे कैफ थी!
उनके कूचे मै गए तो जिंदगी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
मै ना जाऊंगा कही भी दर नवी का छोड़ कर!
मुझको कुए मुस्तफा की चाकरी अच्छी लगी!
यूँ तो कहने को गुजारी जिंदगी मैंने मगर!
जो दरे आका पर गुजरी वो घड़ी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
बलिहाना हो गए जो तेरे कदमो पर निसार!
हक़ तआला को अदा उनकी बढ़ी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
नाज कर तू ऐ हलीमा सरबरे को नैन पर!
गर लगी अच्छी तो तेरी झोपढ़ी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
साकिये कोसर का जिसको मिल गया जामे बिला!
कब उसे फिर मे कदा और मै कशी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
बे खुदी मै खिच कर आ जाते है! आका के गुलाम!
महफिले नाते नवी जिस जा सजी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
रख दिए सरकार के कदमो पे सुल्तानो ने सर!
सरबरे कोनो मका की सादगी की अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
दूर रहकर आस्ताने सरबरे कोनेन से!
जिंदगी अच्छी लगी ना वंदगी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
था मेरी दीवांगी मै सुरूरे एहतिराम!
मेरे आका को मेरी दीवांगी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
महरो माँ की रोशनी माना अच्छी है मगर!
सब्ज गुमबद की मुझे तो रोशनी अच्छी लगी!
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
आज महफिल मै नियाजे नात जो मैंने पढ़ी!
आशिकाने मुस्तफा को वो बढ़ी अच्छी लगी
हम फ़कीरो को मदीने की गली अच्छी लगी!
Mashallah bahut achche naat hai