ऐ शेरे खुदा तुझ जैसा वली कोनेन मै दूजा कोई नहीं मंकवत हज़ाराते अली lyrics

ऐ शेरे खुदा तुझ जैसा वली कोनेन मै दूजा कोई नहीं

असहाब मआरिफ कहते है! जाहिद तेरे जैसा कोई नहीं

तू जुद व सखा का पैकर है! मशहूर है! तेरी लुत्फ़ व अता

इस्लाम के खातिर तेरा पसर सर अपना कटाया कर्बल मै

बेटे की तरह तेरे मोला अली कोनेन मै बेटा कोई नहीं

तो बाब उखाढ़ा खैबर का तो पल मै पछाड़ा मरहब को

तुझ जैसा बहादुर दुनिया मै ऐ दाताओ आका कोई नहीं

तू शेरे खुदा तू मर्द जरी तू हक़ का निशा तू हक़ के करी

तू अपने कमाल मै सबसे जुदा संसार मै तुझ सा कोई नहीं

इस सैफ हजे के पास अली सामान नहीं है बक्शीस का

बस आस तुम्ही से लगाया हूँ! और मेरा सहारा कोई नहीं

Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ

4 thoughts on “ऐ शेरे खुदा तुझ जैसा वली कोनेन मै दूजा कोई नहीं मंकवत हज़ाराते अली lyrics

  1. यह कविता वाकई बहुत प्रभावशाली है। इसमें हज़रत अली की वीरता और उनके गुणों का बहुत सुंदर वर्णन किया गया है। मुझे लगता है कि यह लेखक की गहरी श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है। क्या आपको नहीं लगता कि ऐसी कविताएं हमें इतिहास और धर्म के प्रति और अधिक जागरूक बनाती हैं? मैं यह जानना चाहूंगा कि क्या इस कविता का कोई विशेष संदर्भ या इतिहास है जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है? क्या आप इसके बारे में कुछ और जानकारी साझा कर सकते हैं? मुझे लगता है कि ऐसी रचनाएं हमें अपने अतीत से जोड़ती हैं और हमें प्रेरणा देती हैं। क्या आप इससे सहमत हैं?

  2. इस कविता में हज़रत अली की वीरता और उनके गुणों का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है। यह कविता न केवल उनकी शक्ति को दर्शाती है, बल्कि उनकी न्यायप्रियता और बलिदान की भावना को भी उजागर करती है। मुझे लगता है कि ऐसी रचनाएं हमें इतिहास और धर्म के प्रति और अधिक जागरूक बनाती हैं। क्या आपको नहीं लगता कि यह कविता हमें अपने अतीत से जोड़ती है और हमें प्रेरणा देती है? मैं यह जानना चाहूंगा कि क्या इस कविता का कोई विशेष संदर्भ या इतिहास है जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है? क्या आप इसके बारे में कुछ और जानकारी साझा कर सकते हैं? मुझे लगता है कि ऐसी रचनाएं हमारे समाज को और अधिक सशक्त बनाती हैं। क्या आप इससे सहमत हैं?

  3. यह कविता वाकई बहुत प्रेरणादायक है। हज़रत अली की वीरता और उनके गुणों का इतना सुंदर वर्णन हर किसी को प्रभावित कर सकता है। लेखक ने अपनी भक्ति और श्रद्धा को बहुत अच्छे तरीके से व्यक्त किया है। यह कविता हमें इतिहास और धर्म के प्रति और अधिक जागरूक बनाती है। क्या आपको नहीं लगता कि ऐसी रचनाएं हमें अपने अतीत से जोड़ती हैं? इस कविता के पीछे का इतिहास और संदर्भ क्या है? क्या आप इसके बारे में कुछ और जानकारी साझा कर सकते हैं? मुझे लगता है कि ऐसी कविताएं हमें प्रेरणा देने के साथ-साथ हमारी धार्मिक समझ को भी गहरा करती हैं। क्या आप इससे सहमत हैं?

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