आज मेरे अस्क नात सुनाये तो अजब किया नात सरीफ lyrics

आज मेरे अस्क नात सुनाये तो अजब किया 
सुन कर मुझे वो पास बुलाये तो अजब किया 


उन पर तो गुनहगार का सब हाल खुला है! 
इस पर भी वो दामन मै छुपाये तो अजब किया 


मुँह धाक के रखना की गुनहगार बहुत हूँ! 
मय्यत को मेरी देखने आये तो अजब किया 


ना जादे सफर है! ना कोई काम भले है! 
फिर भी हमें सरकार बुलाये तो अजब किया 


दीदार के काबिल तो नहीं चश्मे तमन्ना 
लेकिन कभी वो खुआब मै आये तो अजब किया 


ये निस्बते शाहे मदनी और ये आंसू 
महसर मै एक गम से छूढाये तो अजब किया 


मै ऐसा खाताबार हूँ! की हद भी नहीं जिसकी 
फिर भी मेरे ऐबो को छुपाये तो अजब किया 


पाबंद रवा तो नहीं फरयाद की रस्मे 
ये इश्क मेरा हाल सुनाये तो अजब किया 


पावंद रवा तो नहीं फरयाद की रस्मे 
ये आंसू मेरा हाल सुनाये तो अजब किया 


हासिल जिन्हे आका की गुलामी का सर्फ़ है! 
ठोंकर से वो मुर्दो को जिलाये तो अजब किया 


वो हुस्ने दो आलम है! अदीव उनके कदम से 
सेहरा मै अगर फूल खिलाये तो अजब किया 

Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ 

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