आका ने बनाया है! जिसे पहला खलीफा
हर एक सहाबी ने जिसे माना है! आका
कुराने मुकद्दस ने पढ़ा है! जिसका कासीदा
सिद्दीक है! सिद्दीक है! वो मेरा सिद्दीक
उस्मान हो! फारुख हो! या हो के वो हैदर
सब ने जिसे माना है! दिलो जान से रहबर
कोई भी नहीं जिससे बडा बाद पयमबर
सिद्दीक है! सिद्दीक है! वो मेरा सिद्दीक
जो खत्मे नबुब्बत पे सदा पहरा दिया है!
कुफ्फार से सरकार के खातिर जो लढा है!
पैगामे सदा इश्क नवी का जो दिया है!
सिद्दीक है! सिद्दीक है! वो मेरा सिद्दीक
हर एक अदा जिसका जहन्नुम मै चलेगा
और जिसका गदा चैन से जन्नत मै रहेगा
इनाम जिसे ख़ास मेरे रब से मिलेगा
सिद्दीक है! सिद्दीक है! वो मेरा सिद्दीक
वो जिसके गुलामो के लिए प्यार अली है!
और वो जिसकी अदा के लिए तलबार अली है!
वो जिसके दिलो जान के बफादार अली है
सिद्दीक है! सिद्दीक है! वो मेरा सिद्दीक
दरबारे मोहम्मद का अदब जिसने बताया
है! फैला हुआ जहा भर मै जिसका उजाला
आका ने इमामत का सर्फ़ जिसको बखसा
सिद्दीक है! सिद्दीक है! वो मेरा सिद्दीक
सरकार के पहलु मै जाकर कर रहा आराम
जो इश्क मुहम्मद का सदा पिलाता है! जाम
और सेफ बना डदेता है! जो बिगड़े हुए काम
सिद्दीक है! सिद्दीक है! वो मेरा सिद्दीक