तगाफुल के सभी खेमे जलाने की जरूरत है!
हमें सोई हुयी उम्मत जगाने की जरूरत है!
अबाबीलो का लस्कर अब ना आएगा मुसलमानो
तुम्हे खुद अपने काबा को बचाने की जरूरत है!
हमारा क़िबलाए अब्बल भी आज़ादी से चमकेगा
जहा को जोके अय्यूबी दिखाने की जरूरत है!
लहू से व बुजु होकर आजाने इश्क देना है!
मुसल्ला जैरे खंजर फिर बिछाने की जरूरत है!
हमें शक की निगाहो से जमाना देखता कियु है!
हकीकत किया है! दुनिया को दिखाने की जरूरत है!
हर एक जानिब जो आपस मै लगी है! आग नफरत की
उसे आबे मोहब्बत से बुझाने की जरूरत है!
तनफफुर का धुँआन इंसानियत की जान ले लेगा
ताससुब के चिरागो को बुझाने की जरूरत है!
बसीरत मै वो कुंवत हो की मुर्दा दिल मुनब्बर हो!
बसारत को जुनैदी मै पिलाने की जरूरत है!
जो दुश्मन है! हमारे खुद हमारा दीन मानेंगे
हमें असलाफ का लहजा बनाने की जरूरत है!
कई कर्बल की आमद है! यज़ीदी सोरीसे हर सू
अलम हाथो मै सब्बिरी उठाने की जरूरत है!
खामोशी ज़ुल्म पर हो तो मदद ज़ालिम की है! फय्याज़
जहा तक दम हो आवाज़े उठाने की जरूरत है!
Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ