आख़री लम्हो मै किया शहरों बया बान देखु
अब तो बस एक ही धुन है! मदीना देखु
रू व रु रोजाये सरकार के महफिले नात
काश तैवा हसीन ऐसा जमाना देखु
साहिले दर को शहंशाहै जमाना करदे
शाहे बतहा का वो अंदाजे सुहाना देखु
सजदाये सर मै करू काबे की अज़मत के लिए
सजदाये दिल के मै काबे का काबा देखु
उनके दरबार मै कुछ हमको मिले ऐसी अता
औज पे अपने मुकद्दर का सितारा देखु
या नवी करदो मेरे दिल को सभी जंग से पाक
वस्ल की रात को मै दिल का चमकना देखु
सदकाये आले नवी हम को मिले आज की सब
गुलसने ज़ेहरा का मै रंगीन नजारा देखु
मालो जर पास नहीं और न पर है! मेरे
बढ़ा मुश्किल हाल के जाके मदीना देखु
साबिरे चिस्ती तलब दिल मै यूँ करले पैदा
आँख जो बंद करू प्यारा मदीना देखु
यूँ तो इस बख्त भी आँखों मै है! रोजा उनका
मेरे आका का हकीकत मै बुलाना देखु
वो यकीनन मुझे बुल बाएंगे तैवा साबिर
और वही शान से जान का जाना देखु
Writter :- हसीन मुसीर अहमद कादरी नक्सबंदी भुजपुरा अलीगढ